MP News : भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक बाद यूनियन कार्बाइड के कचरे को पीथमपुर में जलाने की प्रक्रिया शुरू

MP News : भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक बाद यूनियन कार्बाइड के कचरे को पीथमपुर में जलाने की प्रक्रिया शुरू

MP News: भोपाल गैस त्रासदी को चार दशक बीत चुके हैं, लेकिन इस भयावह घटना का कचरा अब भी चिंता का विषय बना हुआ है। आज से यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने की प्रक्रिया शुरू हो रही है। प्रशासन ने इस कार्य के लिए विस्तृत योजना तैयार की है और सुरक्षा व्यवस्था के तहत 500 से अधिक पुलिस बल और मॉस्कुलर मशीनरी को तैनात किया गया है इस प्रक्रिया की निगरानी एडवर्टाइजमेंट कमिश्नर दीपक सिंह, आईजी अनुराग सिंह समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक करेंगे। वहीं, कांग्रेस इस निर्णय का लगातार विरोध कर रही है।

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दो हफ्तों में 30 टन कचरा जलाया जाएगा

पिछले दो महीनों में पीथमपुर स्थित रामकी इनवायरो ब्लॉक में भोपाल से 337 टन जहरीला कचरा लाया गया था। आज सुबह 10 बजे से इस कचरे को चरणबद्ध तरीके से नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू होगी।

  • अगले दो सप्ताह में 30 टन कचरा जलाया जाएगा।
  • साल 2015 में भी इसी प्लांट में 10 टन कचरे का ट्रायल किया गया था।
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह निर्णय लिया गया है।
  • गुरुवार से ही कचरे को सेग्रीगेट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।

कचरा जलाने की प्रक्रिया इनसीनरेटर प्लांट में की जाएगी, और इस दौरान केंद्र और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी निरीक्षण करेंगे।

कांग्रेस ने किया विरोध, जीतू पटवारी ने सरकार को दी चुनौती

इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने राज्य सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर इस कचरे में जहर नहीं है, तो सरकार रामकी कंपनी के 10 किमी के दायरे में पानी की जांच करवाए।

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उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- “अगर इस क्षेत्र के पानी में कैंसर उत्पन्न करने वाला कोई तत्व नहीं पाया जाता, तो मैं सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए तैयार हूं। लेकिन अगर जहर मिला, तो सरकार को जनता के सामने जवाब देना होगा।”उन्होंने आगे कहा कि “जनभावना की अनदेखी कर यह निर्णय लिया जा रहा है, जिसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।”

क्या है सरकार का पक्ष?

राज्य सरकार और पर्यावरण विभाग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत यह प्रक्रिया की जा रही है। इस कचरे को वैज्ञानिक तरीके से जलाकर नष्ट किया जाएगा, ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। लेकिन स्थानीय लोगों और कांग्रेस नेताओं की चिंता यह है कि इस प्रक्रिया से पानी और हवा प्रदूषित हो सकती है।

भोपाल गैस त्रासदी की पीड़ा और जिम्मेदारी का सवाल

1984 की भोपाल गैस त्रासदी में हजारों लोगों की मौत हो गई थी और लाखों लोग आज भी इसके जहरीले प्रभावों से जूझ रहे हैं। यूनियन कार्बाइड के इस जहरीले कचरे को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं।

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