आमतौर पर देखा जाये तो किसान का जीवन खेती पर ही निर्भर करता है। और किसान अपनी मेहनत से फसलों को तैयार करते हैं, लेकिन जंगली जानवर अक्सर इन फसलों को एक ही रात में बर्बाद कर देते हैं. इससे किसानों की लागत और मेहनत दोनों बेकार हो जाती हैं. ऐसे में खेतों को सुरक्षित रखने के लिए तारबंदी एक बेहतर विकल्प साबित होताहै. तारबंदी के जरिए खेतों की सीमा पर तार लगाए जाते हैं, जिससे जंगली जानवर खेतों में प्रवेश नहीं कर सकते। और फसल सुरक्षित रहती है।
सरकार से मिल रही है सब्सिडी
आपकी जानकारी के लिए बता दे की सरकार किसानों को खेतों में तारबंदी के लिए आर्थिक सहायता दे रही है। जिसमे की किसानों को इस योजना के अंतर्गत ₹56,000 तक की सब्सिडी दी जा रही है।
लघु और सीमांत किसान: इन किसानों को 60% यानी ₹48,000 की सब्सिडी मिलती है. साथ ही, मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना के तहत ₹8,000 का अतिरिक्त अनुदान भी मिलता है।
अन्य किसान: अन्य किसानों को 50% यानी ₹40,000 तक की सब्सिडी दी जाती है।
किसान समूह: यदि किसान समूह बनाकर आवेदन करते हैं, तो 10 या अधिक किसान मिलकर 5 हेक्टेयर जमीन पर तारबंदी कर सकते हैं. इस स्थिति में प्रत्येक किसान को 400 मीटर लंबाई के हिसाब से 70% सब्सिडी दी जाती है।
कृषक समूह के लिए लाभकारी योजना
इस योजना के अंतर्गत अगर कोई किसान अकेले आवेदन करता है, तो उसके पास कम से कम 1.5 हेक्टेयर की जमीन होना आवश्यक है। और अगर किसान समूह बनाकर आवेदन करने पर दो किसान मिलकर भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. लेकिन ग्रुप की सीमाएं पेरीफेरी में होनी चाहिए. 400 मीटर तक की भूमि के लिए किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं. यदि इससे अधिक भूमि की तारबंदी करनी हो, तो अतिरिक्त खर्च किसानों को स्वयं उठाना होगा।
ऐसे करें आवेदन
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आपकी जानकारी के लिए बता दे की तारबंदी योजना का लाभ उठाने के लिए किसान को आवेदन करना होगा. इसके लिए जरूरी दस्तावेज हैं।
जमाबंदी की नकल
पेरीफेरी का नक्शा
आधार कार्ड
किसान पेरीफेरी का नक्शा ट्रेस पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं. आवेदन के लिए किसान ईमित्र केंद्र से संपर्क कर सकते हैं या राज्य किसान सुविधा ऐप के माध्यम से स्वयं आवेदन कर सकते हैं।
किसानों के लिए लाभकारी योजना
जानकारी के लिए बता दे की तारबंदी योजना किसानों के लिए बेहद फायदेमंद योजनाहै. इससे न केवल उनकी फसल सुरक्षित रहेगी, बल्कि आर्थिक नुकसान से भी बचा जा सकेगा. इस योजना के माध्यम से किसान अपनी लागत कम कर सकते हैं और फसल बर्बादी की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।